भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दीवार पर टंगी / चंद्र रेखा ढडवाल
Kavita Kosh से
शुभ मुहूर्त्त पर भी
मनहूसियत विदा तो हुई
पर दीवार पर टँगी दराती के
ठीक गर्दन पर गिरने की
संभावना की उद्घोषणा
करके ही...