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दुश्मन / शरद बिलौरे
Kavita Kosh से
एक दिन
थके हुए बैल के सपने में
उभरी हुई नसों वाले
दो जवान और मज़बूत हाथों ने प्रवेश किया।
बैल गुस्से में उन्हें मारने दौड़ा
और अपने सींगों में दबोच कर
दिन भर सुनी हुई गालियाँ
उन्हें वापिस लौटाई।
फिर
पुट्ठों पर बने कीलों के निशान गिनवाए।
हथेलियों में अपने छाले को छिपा कर
बैल की पीठ सहलाई
बैल ने अपनी पीठ पर
उन छालों को फूटते हुए महसूस किया
हाथों ने उसे
अपना आधा खाली पेट दिखाया।
बैल ने उस दिन
अपने हिस्से का आधा भूसा नहीं खाया।
दूसरे दिन से
हाथ ग़ाली नहीं देते
बैल धीमे नहीं चलता
एक दिन दोनों के सपने में
गाँव पटेल प्रवेश करेगा
हाथ उसे दबोच कर
बैल के आगे डाल देंगे
बैल उसे सींगों पर उछाल देगा
फिर
सब मीठी नींद सो जाएंगे।