देखै नै छौ / वसुंधरा कुमारी
जे बोॅर गाछ
बीसो साल पहिलेॅ
बूढ़ोॅ होय गेलोॅ छेलै
जेकरोॅ खोड़र मेॅ विषधर सांप
नेठुऐलोॅ बैठलोॅ रहै छेलै,
जेकरोॅ जट्टोॅ आरो डाली सिनी
सूखी-सूखी केॅ हरट्ट होय गेलोॅ छेलै,
जंग लगलोॅ लोहोॅ केॅ
मोटो-पातरोॅ खंभा आरो तार नांखी,
जेकरोॅ देहोॅ पर
कहीं ,क्को टा पत्ता नै रहै(
वही बोॅर गाछ
नया जट्टोॅ फेके लागलोॅ छै
सोना के पातरोॅ-पातरोॅ तार रं,
अपनोॅ माथोॅ पर
अपनोॅ देही पर
नया पत्ता के कपड़ा पिन्ही लेलेॅ छै,
खोड़व में बनावेॅ लागलेॅ छै
चिड़िया सिनी अपनोॅ खोता,
नेठुऐलोॅ साँप
खोड़र छोड़ी केॅ आन ठिकानोॅ मेॅ
बासोॅ खोजेॅ लागलोॅ छै ।
की है सब देखी नै रहलोॅ छौ
तोहें धृतराष्ट्र तेॅ नहिये नी छेकौ ।
धृतराष्ट्रोॅ केॅ संजय छेलै
आरो विराट रूप देखै लेॅ दू आँख
बोॅर गाछ हलफलाय रहलोॅ छै
जेकरोॅ नीचेॅ सौंसे गाँव के लोग
इकट्ठा हु, लागलोॅ छै,
देखै नै छौ ।