भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देख रेख / राजकिशोर सिंह
Kavita Kosh से
करती है देऽरेऽ
एक माँ
अपनी बेटी की
क्योंकि
वह है बच्ची
वह है नादान
उसी बेटी की
करती है देऽरेऽ
उसकी माँ
क्योंकि
अब वह
बच्ची नहीं है
वह अच्छी है
वह है जवान।