भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देने को शुभकामना / हरिवंश प्रभात
Kavita Kosh से
देने को शुभकामना, करने को कमाल है,
आया नया साल है, आया नया साल है।
हँसती मुस्कुराती ज़िंदगी सभी के पास हो
पाँव हों ज़मीन पर, मन बड़ा आकाश हो,
भरी रहे उमंग ये ज़िंदगी हर हाल है।
ताज़गी लिये रहे समस्त मस्त भावना
विश्वास भरी रोशनी कर रही प्रस्तावना,
वातावरण में अंधकार को दिया निकाल है।
उगता हुआ सूरज स्वागत संदेश दे रहा
नयी डगर, नयी लहर, नवीन नाव खे रहा,
सप्त स्वर जगेगा, नया साज, नया ताल है।
आनंद से कटें सभी के पल सुगंधमय रहें
ना तो ठोकरें मिलें, ना किसी को भय रहे,
नहीं कोई भी प्रश्न है, नहीं कोई सवाल है।
हाथ बढ़ें दोस्ती के, प्रेम से गले मिलें
ज्ञान और विज्ञान से देश भी फले-फुले,
नमस्ते, सलाम सबको सत् श्री अकाल है।