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देश को सुधार दें / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
आओ मेरे साथियों हिन्द के निवासियों
देश को सुधार दें, एक नया निखार दे
राह रोकेगा कोई तो हम उसे गिरायेंगे
इस चमन से कंटको को कट कर हटायेंगे
फूल खिले सकें इसी से
क्यारियाँ संवार दे एक नया निखार दें
देश के जो मित्र हैं हम उन्हें बुलायेंगे
और जो छिपे हैं शत्रु मकर कर भगायेंगे
शत्रुओं को एक पल में
भूमि से बुहार दें एक नया
अंधकार यदि घिरेगा दीप हम जलायेंगे
अर द्वार जायेंगे हम अलख जगायेंगे
चल पड़े तो देश को
एक नयी बाहर दें
देश को सुधार दें, एक नया निखार दें