भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देह कहीं नहीं / चंद्र रेखा ढडवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देह पर इतराती
देह पर लज्जाती
देह निभाती
औरतों की मन-पींगों के
श्रम में
विश्राम में
कहीं नहीं
होती देह
.