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दोपहर का भोजन / कुमार विकल
Kavita Kosh से
('दोपहर का भोजन' अमरकांत की प्रसिद्ध कहानी का नाम है)
दुख
‘दुख को सहना
कुछ मत कहना—
बहुत पुरानी बात है।
दुख सहना,पर
सब कुछ कहना
यही समय की बात है।
दुख को बना के एक कबूतर
बिल्ली को अर्पित कर देना
जीवन का अपमान है।
दुख को आँख घूर कर देखो
अपने हथियारों को परखो
और समय आते ही उस पर
पूरी ताक़त संचय करके
ऐसा झड़पो
भीगी बिल्ली—सा वह भागे
तुम पीछे, वह आगे—आगे।
दुख को कविता में रो देना
‘यह कविता की रात है’
दुख से लड़कर कविता लिखना
गुरिल्ला शुरुआत है।