कविता कोश पूरी तरह से अव्यवसायिक परियोजना है। इसमें शामिल रचनाकारों और रचनाओं का चयन कविता कोश टीम द्वारा रचनाओं की गुणवत्ता के आधार पर किया जाता है। यदि कोई भी व्यक्ति ऐसा कहता है कि वह पैसे लेकर या किसी भी अन्य तरह से इस कोश में रचनाएँ शामिल करवा सकता है तो वह व्यक्ति ग़लत है। यदि कोई व्यक्ति आपसे ऐसी बात कहता है तो कृपया हमें kavitakosh@gmail.com पर सूचित करें।
अक्सर इन रातों में
तिर आतीं आँखों में
दो जलते कंदीलें I
ठहर-ठहर कर अक्सर
लिख जातीं कुछ मन पर
वे दो नीली झीलें I
आंसू की तरह
गिरता है मोम पिघल
जैसे बिखरी खीलें I
भीगी हर कोर लिये
जुड़ आतीं शोर लिये
यादों की तहसीलें I