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दो मक़्ते / फ़ानी बदायूनी
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मौजों की सयासत से मायूस न हो ‘फ़ानी’।
गरदाब की हर तह में साहिल नज़र आता है॥
चौंक पड़ते हैं ज़िक्रे ‘फ़ानी’ से।
नींद उचटती है इस कहानी से॥