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द्वन्द्व / उंगारेत्ती
Kavita Kosh से
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अपने भेड़िए की भूख से
मैं चींथ डालता हूँ अपने मेमने की देह
मैं हूँ एक निस्सहाय नौका
और फुफकारते क्रुद्ध समुद्र की तरह ।