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धाड़ैती: 1 / मीठेश निर्मोही
Kavita Kosh से
खोस लेसी
थारै सूं
थारा हाथ
हळ-बळद
खेत अर
खाद
अठै तांई
थारी
जात।
थारा पुन्न साटै
वां रा पाप
क्यूं,
के
पइसौ ई
हुयग्यौ है
सगळां रै
माई-बाप !