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धिणाप / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
रच सकै
अकूरड़ी पर
रैणियो सरभंगी
अचूक मंतर
बणा सकै
ठोठ गुवाळियो
मधरा लोकगीत
कर सकै
अणभणियो करसो
काळजयी कविता
उकेर सकै
मळबो ढोणियो
कमतरियो
अनूठा चितराम
कोनी
कळांवां पर
किण रो ही धिणाप !
चाहीजै दीठ
अणभूतणै री खिमता
निरथक
सोनै री कलम‘र
चांदी री दवात
सिरजन रा सीरी
घोचा‘र कांकरा
का‘ सोनल धूळ
जकी सिस्टी रो मूळ !