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नई पीढ़ी के नाम / उर्मिल सत्यभूषण

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ओ नई पीढ़ी!
इस पुरातन और नूतन
संधि युग में
मैं तुझे उपहार देती हूँ
अपनी आग का अंगार देती हूँ
इस कामना के साथ
कि यह प्रेरणा का स्रोत हो स्फुलिंग
तुम्हारी चेतना की आग को
प्रज्जवलित कर दे
जो जुल्म के जंगलों को राख कर दे
जीर्ण, जर्जर और बर्बर
भवन और अट्टालिकायें
सत्ता के निर्मम गढ़ों को
नष्ट कर दे
और फिर निर्माण की कल्याणकारी
कल्पना ले
खंडहरों को साफ कर दे
और ले संकल्प का दीपक
जो निराशा का घना अंधकार काटे
जो विश्व में आस्था के फूल बांटे
जो धरा के पत्र पर
खुशबुओं के लेख लिख दे
ओ नई पीढ़ी
मुझे आश्वस्त कर तू
मैं तुम्हारे पुख्त कंधों पर
जिं़दगी और युद्ध का भार देती हूँ
क्रांति का भार देती हूँ
मैं सुलगती आग अपना प्यार देती हूँ।