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नदी में डूबा मैं / केदारनाथ अग्रवाल
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नदी में डूबा मैं
नदी पीता हूँ
अपने अस्तित्व में
प्रकृति का अस्तित्व जीता हूँ
रचनाकाल: ३०-०९-१९६५