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नमामि मातु भारती / गोपालप्रसाद व्यास
Kavita Kosh से
नमामि मातु भारती !
हिमाद्रि-तुंग, श्रींगिनी
त्रिरंग- अंश- रंगिनी
नमामि मातु भारती
सहस्र दीप आरती !
समुद्र- पाद- पल्लवे
विराट विश्व –वल्लभे
प्रबुद्ध बुद्ध की धरा
प्रणम्य हे वसुंधरा !
स्वराज्य – स्वावलंबिनी
सदैव सत्य – संगिनी
अजेय ,श्रेय - मंडिता
समाज-शास्त्र-पण्डिता !
अशोक -चक्र –संयुते
समुज्ज्वले समुन्नते
मनोग्य मुक्ति –मंत्रिणी
विशाल लोकतंत्रिनी !
अपार शस्य – सम्पदे
अजस्र श्री पड़े-पड़े
शुभन्करे - प्रियंवदे
दया - क्षमा वंशवदे !
मनस्विनी – तपस्विनी
रणस्थली – यशस्विनी
कराल- काल- कलिका
प्रचंड मुंड- मालिका .
अमोघ शक्ति – धारिणी
कुराज कष्ट – वारिणी
अदैन्य मंत्र – दायिका
नमामि राष्ट्र – नायिका !