भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नया घर / ब्रज श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
उस घर में किताबें छूट गई
इस घर में हमारे साथ टीवी आया बड़ा वाला आईना छूट गया
एक रोशन दान छूट गया
गाय के रंभाने का दृश्य छूट गया
मंदिर की आरती की आवाज़ें
छूट गईं
कामवाली बाई छूट गई
छूट गया दूधवाला
अखबार वाला बिछड़ गया
लेकिन वही अखबार
इस घर में रोज़ाना आ रहा है
बहुत सारा समय छूट गया
उस घर में
इस घर में हमारे साथ नए समय का एक नमूना आया
जिसमें नए टाइल्स हैं और
छोटा सा बगीचा है और
सामने बनते हुए नए-नए बंगले हैं
उस घर में भाई छूट गया
पड़ोसी भी छूट गये
और कुछ बच्चे भी
जो बाहर खेलते हुए
ध्यान खींचते थे
आ तो गई मां साथ
लेकिन उसका भी
आधा मन
तो उस घर में छूट गया।