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नववर्ष में / सुभाष नीरव

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क्या खोया, क्या पाया के गणित में उलझे

कहा अलविदा जाते वर्ष को

शुभकामनाओं के आदान-प्रदान के बीच

किया स्वागत नये साल का।


लिए कुछ नये संकल्प

की कुछ कामनाएँ-प्रार्थनाएँ

संजोये कुछ नये स्वप्न।


संकल्प कि

दोहरायें नहीं वे गलतियाँ

जो हुईं जाने-अनजाते बीते बरस में।


कामनाएँ-प्रार्थनाएँ कि

बची रहे रिश्तों-संबंधों की महक

संवेदनाएँ न हों मृत

वैमनस्य बदले प्रेम में

ख़ुशहाल हो बचपन

न हो उपेक्षा, बेकद्री बुज़ुर्गों की।


स्वप्न कि

किसी भी तरह के आतंक से मुक्त

एक खुशहाल और बेहतर दुनिया में

साँस ले सकें हम

इस नए वर्ष में।