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नहीं तुम जैसा कोई / सुदर्शन रत्नाकर

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आसमान को छू लूँ
धरा को चूम लूँ,
तुम जैसा कोई नहीं माँ
चाहे सारी दुनिया घूम लूँ।
कहीं नहीं हैं ऐसी नदियाँ
नहीं कोई पहाड़ वैसा
तेरे जैसा लहराता सागर
न कच्छ, न कहार।
निर्मल बहते स्रोत
न मस्त हवाओं के झोंके
कलरव करते पक्षी
गले मिलते लोग।