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नाम जानकर क्या करोंगे / पुरूषोत्तम व्यास
Kavita Kosh से
एक भाईसाहब से बड़े
प्रेम से पुछा
भाईसाहब आपका नाम क्या
भाईसाहब ने बड़े धीमें से कहा
आप नाम जानकर क्या करोगें
मेरा काम देखीये
मैं कुछ न कहा
परंतु आदमी कैसा भी हो
हम उसे नाम से ही पुकारेगें
ऐसा तो नहीं कह सकते
एक आदमी दो आदमी
संख्याओं नाम नहीं रख सकते
यह तो सही बात है
आदमी का काम देखना चाहिये
परंतु जिसने भी नाम रखने की
परंपरा का आविष्कार किया बड़ा ही
विव्दान होगा
नही तो हम किसी से मिलने भी
जा नहीं सकते
और उर्वशी को याद करने पर
सौंदर्य पूर्ण भाव नहीं आते।