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नाव / रामधारी सिंह "दिनकर"

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प्रत्येक नया दिन नयी नाव ले आता है,
लेकिन, समुद है वही, सिन्धु का तीर वही।
प्रत्येक नया दिन नया घाव दे जाता है,
लेकिन, पीड़ा है वही, नयन का नीर वही।