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निःशब्दता / रामधारी सिंह "दिनकर"
Kavita Kosh से
शब्द जो निःशब्द, नीरव हैं,
समय पाकर वही परिपक्व होते हैं।
घूर्णि जब आती नहीं दिन भर ठहरती है।
और वह वर्षा नहीं भरती सरोवर को,
पटपटा कर जो बहुत आवाज करती है।