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निराकार-आकार / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
कोनी-ल्याण सकै
लपट नै
हथेळी में
ल्याणो पड़सी ठूंठियो सागै,
कोनी अणभूत सकै
ईंयां निराकार नै
राखणी हुसी आकार मुंडागै !