भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नूंईं जिनगी / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
बाबल जद टोरै
उणी टैम
टुरज्यै बेटी
अेक ई
नीं करै सुवाल
कै
किस्योक है छोरौ
अर
किस्योक है घरबार
हुज्यै बिदा
रोंवती बिलखती
अर चलीज्यै
नूंई जिनगी
सरू करण सारू
अेक नूंवै घर में।