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पथ मिले हजार / प्रेमलता त्रिपाठी
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					सच्ची लगन उदार मंत्र, पथ मिले हजार ।
पूजा फले सदैव सत्य, शुद्ध  हो विचार ।
रिश्ते करें सवाल हंत,  फासले  तमाम,
मतभेद यों बढ़ा मिटा न, आपसी दरार ।
वंदनीय नित कर्म धर्म, देश ये महान,
देती सदा सनेह नित्य,भारती  पुकार,
संभव तभी विकास साथ,एक हों अनेक। 
दूर दर्शिता अभेद हों,  सिद्धियाँ अपार ।
उत्सर्ग ये सदैव मातृ, भूमि को अशेष,
निस्वार्थ प्रेम स्रोत सार,हो न लेष खार ।
	
	