भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पद / 5 / बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुन्दर सुरंग अंग अंग पै अनंग वारो,
जाके पद-पंकज में पंकज दुखारो है।
पीत पटवारो मुख मुरली सँवारो प्यारो,
कुण्डल झलक मुख मोर पंख धारो है॥
कोटिन सुधाकर को सुखमा सुहात जाके,
मुख माँ लुभाती रमा रंभा सी हजारो है।
नन्द को दुलारो श्रीयशोदा को पियारो,
जौन भक्त सुख सारो सो हमारो रखवारो है।