भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पिता का शब्दकोश / कविता पनिया
Kavita Kosh से
पिता का शब्दकोश
जिसे बचपन से मेरे मस्तिष्क के पन्नों पर
उन्होंने बड़ी सर्तकता से लिखा है
अब वह दूर गाँव में रहते हैं
पर जब भी मैं कहीं अटक जाती हूँ
अपनी दुविधा दूर करने को
पलटती हूँ पिता के दिए शब्द कोश के पन्ने
वह राह दिखते हैं
ठीक उस मील के पत्थर की तरह
जो भटकने नहीं देता राह से
हर रास्ते का पता है उस शब्दकोश में
जिस पर चल रही हूँ मैं
वह पता उन्होंने लिखा है
मेरे पिता का शब्दकोश