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पिया / मनोज कुमार ‘राही’
Kavita Kosh से
मुखहूँ न बोलै पिया,
क्या कहूँ सखिया,
काटे नाहीं कहे रैना,
बीते नाहीं बेरी रतिया,
मुखहूँ न बोलै
सासु गुजरी गेलै,
ससुर परदेशिया,
घर में अकेली हम्में,
केय नै ननदिया
मुखहूँ न बोलै पिया
कैसे मनाऊँ हाय
रूठल मोर पिया,
कुछ नाहीं सुझै मोरा,
धड़केॅ लेॅ छतिया
मुखहूँ न बोलै पिया
सौलह श्रृंगार करलोॅ,
लाख मनैइलां, हारलां,
मानेॅ नहीं मोरा पिया,
आंसुवा बहावै आँखिया
मुखहूँ न बोलै पिया
बसंती बयार बहेॅ,
अंगअंग लगावै अगिया
सोना के यौवनवाँ बीतल जाय,
‘राही’ कैसे रिझाऊँ पिया
मुखहूँ न बोलै पिया