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पोथ्यां / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
पोथ्यां नीं
तद
अंधारौ है
आखै जग में
पोथ्यां करै
च्यानणौ
खोलै आँख
दिखावै मारग
बतावै सार
मिटावै खार।