प्रतिज्ञा-भंग / सुरेन्द्र प्रसाद यादव
दुर्योधन काम्यक वन गेलोॅ छेलै
पाण्डव केॅ नष्ट करै वासतें गेलोॅ छेलै ।
अर्जुन रोॅ मित्रा चित्रासेन छेलै
गंधर्व नेॅ कौरव सेॅ युद्ध करनें छेलै ।
परास्त करी केॅ भाग लेॅ मजबूर करी देलकै
दुर्योधन केॅ जबरन बंदी बनाय देलकै ।
महाराज युधिष्ठिर है बात जानी गेलै
भीतर सेॅ हौ व्याकुल होय गेलै ।
आपस मेॅ लड़ै छियै, हौ ठीक छै
दोनोॅ मिली केॅ एक सौ पाँच छियै ।
दोसरा सेॅ मुकाबला करे मेॅ सबल छियै
युधिष्ठिर नेॅ अर्जुन केॅ भेजलकै ।
दुर्योधन केॅ छोड़ाय लेॅ कहलकै
गंधर्वराजे नेॅ युद्ध छेड़ी देलकै ।
अर्जुन नेॅ युद्ध मेॅ मुकाबला करलकै
बिना युद्ध करने नहिये छोड़तै ।
अर्जुन केॅ लाचार होय केॅ युद्ध करे लेॅ पड़लै
अंत मेॅ चित्रासेन केॅ परास्त करलकै ।
दुर्योधन नेॅ अर्जुन के आभार व्यक्त करलकै
भैया तोरोॅ जे इच्छा मनोॅ मेॅ जचे छियै ।
हौ इच्छा केॅ पूरा करै लेॅ तत्पर छियौं
हो चीज केॅ ले वास्तें स्वीकार करोॅ ।
हम्में प्राण भी अर्पित करै पारोॅ
हौ समय मेॅ अर्जुन कुछु स्वीकार नै करलकै ।
दुर्याेधन भीतर सेॅ दुख अनुभव करलकै
अभी हौ चीज आपने रोॅ पास अमानत रहतै ।
जबेॅ जरूरत पड़तै, तबेॅ लै रोॅ कोशिश रहतै
आपनै रोॅ पास सुरक्षित रहतै ।
दुर्योधन कुटिल सेॅ ओत-प्रोत छेलै
पाण्डव रोॅ प्रति आग धधकी रहलोॅ छेलै ।
भीष्म केॅ धिक्कारते रही छेलै
पाण्डव केॅ नष्ट करे रोॅ उपाय बतावै लेॅ कहै छेलै ।
भीष्म नेॅ ढ़ाढ़स बंधाय देलकै
कौरव पक्ष फूली केॅ कूप्पा होय गेलै ।
आबेॅ हमरोॅ जीत निश्चित होय गेलै
धर्मराज नेॅ जबेॅ है खबर सुनलकै ।
भगवान कृष्ण केॅ है समाचार कहलकै
विषम परिस्थिति सेॅ ग्रसित छै ।
हेकरोॅ समाधान करै वाला कृष्ण छै
युधिष्ठिर नेॅ भगवानोॅ केॅ स्मरण करलकै ।
अर्जुन केॅ पहिलोॅ बातोॅ केॅ याद दिलैलकै
अर्जुन हौ बातोॅ केॅ सरपट भूलाय गेलोॅ छेलै ।
स्मरण करला पर, बदला लै लेॅ नै चाहे छेलै
संकोचित भावना केॅ त्यागी दोहोॅ ।
पाण्डव जीवन केरोॅ भलाई पर ध्यान दोहोॅ
कृष्ण उपदेश दियै लागलै अर्जुन केॅ ।
युद्ध सेॅ नै मुकरना चाहियोॅ, कहलकै अर्जुन केॅ
है सब पहिलें सेॅ मरलोॅ छै समझी लेॅ ।
हक निमित्त वास्तैं लड़ना छै समझी लेॅ
दोनोॅ तरफोॅ के सेना रोॅ जमाव होय गेलोॅ छेलै ।
रणक्षेत्रा मेॅ मारू बाजा बाजे लागलै
दोनोॅ तरफोॅ रोॅ योद्धा लड़ै लेॅ तत्पर छेलै ।
पल भर मेॅ युद्ध होय वाला छेलै
रथ, हाथी, पैदल अस्त्रा-शस्त्रा सेॅ सजैलोॅ छेलै ।
टकटकी लगाय केॅ दोनोॅ एक दोसरा केॅ देखै छेलै
समर क्षेत्रोॅ मेॅ युधिष्ठिर कवच उतारी देलकै ।
अस्त्रा-शस्त्रा त्यागी केॅ रथ पर राखी देलकै
पाँव पैदल कौरव सेना रोॅ तरफ बढ़ी गेलै ।
कृष्ण, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव पीछू-पीछू चललोॅ गेलै
अर्जुन बोललैµ है आपने की करी रहलोॅ छियै ।
शत्राु सेना रोॅ तरफ कथी लेॅ जाय रहलोॅ छियै
सब्भे भाय नेॅ धर्मराजोॅ सेॅ प्रश्न करतै रहलै ।
केकरोॅ प्रश्नोॅ रोॅ उत्तर नै कहलकै
कृष्ण मुस्कुरैलै, सब्भै रोॅ वाणी सुनी केॅ ।
भगवान धम्रराज रोॅ भाव भंगिमा जानी केॅ
भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य केॅ प्रणाम करलकै ।
बड़ोॅ बुर्जुगोॅ रोॅ आर्शीवाद प्राप्त करलकै
धर्मराज धर्मज्ञ पुरुष है क्षेत्रोॅ मेॅ छेलै ।
कौरव दल अटकल लगाय मेॅ माहिर छेलै
युद्ध रोॅ डरोॅ सेॅ कुलोॅ मेॅ कलंक लगैलकै ।
केकरोॅ बातोॅ पर ध्यान नै देलकै
पितामह रोॅ चरण स्पर्श करलकै ।
विवश होय केॅ आपनें सेॅ युद्ध करै लेॅ पड़लै
भीष्म पितामह आशीर्वाद खुली केॅ देलकै ।
धर्मज्ञ होय केॅ धर्म रोॅ पालन करलकै
बोललै, बेटा ! तोहें यैन्होॅ नै करतिहोॅ तबेॅ ।
पराजय होय रोॅ आशीष दै देतिहोॅ तबेॅ
हम्में तोरा पर काफी अभिभूत छिहौं ।
पितामह बोललैµ मनुष्य धन रोॅ दास छेकै
धन स्वतंत्रा छै, धन केकरो दास नै छेकै ।
कौरव नेॅ आपनोॅ धनोॅ सेॅ अधीन करी लेने छै
तोरा साथोॅ मेॅ नपुंसक व्यवहार करै लागलोॅ छै ।
आपनें दुर्योधन रोॅ तरफ सेॅ लड़ते रहवै
हृदय आपने हमरा पक्षोॅ मेॅ रखवै ।
हम्में दुर्योधन रोॅ तरफोॅ सेॅ लड़ी रहलोॅ छियै
हम्में तोरा झूठ वचन नै दियै पारै छियै ।
दादा ! आपनें सें युद्ध मेॅ केना केॅ जीतवै
हम्में आपनोॅ मृत्यु रोॅ उपाय केना केॅ बतैवै ।
दादा बोललैµ हमरा मारै वाला कोय नै छै
साक्षात इन्द्र केॅ हमरा सेॅ जीतना असंभव छै ।
बेटा अभी आपनोॅ शिवरोॅ मेॅ चली देहोॅ
हमरा सेॅ मदद पावै लेली वहाँ सेॅ चली दिहोॅ ।
भयंकर तरकसोॅ सेॅ बाण खाली होय गेलोॅ छेलै
भीष्म दस हजार वीरोॅ केॅ मारी देलकै ।
तीसरोॅ दिन पाण्डव नेॅ कौरव के छक्का छोड़ाय देलकै
कौरव रोॅ सैनिक कुछु भागी गेलोॅ छेलै ।
कुछु मूर्छित होय केॅ युद्धभूमि मेॅ गिरी गेलोॅ छेलै
घायल मूर्छित सैनिक केॅ ठीक करी केॅ लौटाय छेलै ।
है दृश्य देखी केॅ दुर्याेधन हक्का-बक्का होय छेलै
पितामह सेॅ गुजारिश करे लागलै ।
महारथी रोॅ सामने गिड़गिड़ावै लागलै
आय द्रोणाचार्य कृपाचार्य सभा मेॅ छै ।
हमरोॅ सैनिक रोॅ है दुर्दशा कैन्हें होय छै
केन्हें पाण्डव सेॅ आपनोॅ सैनिक अधिक बलशाली छै ।
बल-पूर्वक होकरोॅ सेना केॅ नै रोकै पारै छै
आपनें सब रोॅ भरोसा पर युद्ध छेड़ने छियै ।
युद्ध मेॅ विजय पावे रोॅ मन बनेनें छियै
पितामह मुस्कुरैलै, लाल-लाल नयन करलकै ।
हमरा कहिला पर तोहें चलतिहोॅ तबेॅ
है नौबत देखलेॅ नै पड़तिहौं तोरा तबेॅ ।
इन्द्र समेत सब्भे देवतागण
पाण्डव केॅ कोय नै हराय सकतै देवतागण ।
हम्में आबेॅ बूढ़ोॅ होय गेलोॅ छी, आयु थोड़ोॅ छै
आय तोरा आपनोॅ पराक्रम दिखाना छै ।
हम्में अकेले पाण्डव सेना केॅ रोकै पारे छी
हमरा मेॅ हौं ताकत छै, पाण्डव सेना केॅ परास्त करै पारे छी ।
है सुनतै कौरव सेना शंख फूँकै लागलोॅ छेलै
पाण्डव सेना मेॅ मारू बाजा बजावै लागलोॅ छेलै ।
मारोॅ-मारोॅ, काटोेॅ-काटोॅ रोॅ कोलाहल होवै छेलै
सिर ही सिर युद्धभूमि मेॅ दिखाई पड़ै छेलै ।
योद्धा सब्भे समर क्षेत्रोॅ मेॅ कराह रहिलोॅ छेलै
माय-बाप रोॅ क्रंदन करी रहलोॅ छेलै ।
भीष्म वाण रोॅ बरसात रोॅ झड़ी लगाय देलकै
दसोॅ दिशा में हाहाकार मचाय देलकै ।
पाण्डव पक्षोॅ रोॅ वीरोॅ रोॅ नाम ले केॅ मारै लागलै
लहू-लुहान होय केॅ, भागेॅ गिरेॅ-पड़ेॅ लागलै ।
कृष्ण नेॅ अर्जुन केॅ सचेत करे लागलै
युद्धभूमि मेॅ जे लड़ै लेॅ आवै हौ दुश्मन छेकै ।
भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य युद्ध मेॅ शत्राु छेकै
कृष्ण नेॅ अर्जुन केरोॅ रथ भीष्म तरफ बढ़ैलकै ।
पाण्डव सेना मेॅ मनोबल दस गुणा बढ़ाय देलकै
अर्जुन नेॅ शीघ्र भीष्म पर बाण चलैलकै ।
धनुष केरोॅ डोरी भीष्म केरोॅ काटी देलकै
भीष्म नेॅ अजु्रन केरोॅ वीरता रोॅ दाद देलकै ।
भीष्म नेॅ दृढ़तापूर्वक आदेश देलकै
अर्जुन समर क्षेत्रोॅ मेॅ पैर जमाय देलकै ।
भीष्म नेॅ तीक्ष्ण बाणोॅ सेॅ क्षत-विक्षत करलकै
कृष्ण, अर्जुन दोनोॅ केॅ व्यथित करलकै ।
भीष्म आपनोॅ पराक्रम देखाय रहलोॅ छेलै
अर्जुन कोमल युद्ध करी रहलोॅ छेलै ।
अर्जुन रोॅ मनोॅ मेॅ गुरु भाव भरलोॅ छेलै
है लेली कठोर वाणोॅ रोॅ प्रहार ने करै छेलै ।
भीष्म केरोॅ बाणोॅ सेॅ अर्जुन रोॅ रथ घेराय गेलै
कौरव सेना चारो ओरोॅ सेॅ आबी गेलै ।
वही समय सात्यिक अर्जुनोॅ केॅ मदद करलकै
सात्यिक बड़ी जोर सेॅ क्षत्रिय धर्म रोॅ दुहायी देलकै ।
कृष्ण देखी रहलोॅ छै, भीष्म रोॅ प्रचण्डता बढ़ी रहलोॅ छेलै
सात्यिक रोॅ समझैला पर सेना नै लौटै छेलै ।
कृष्ण नेॅ सात्यिक केॅ कहलकै, भगौड़ा केॅ भागै लेॅ दोहोॅ
हम्में अकेले भीष्म, द्रोण, अनुचरोॅ केॅ मारै लेॅ देाहोॅ ।
पाण्डव रोॅ हितकारी करवै
युधिष्ठिर केॅ गद्दी पर बैठैवै ।
कृष्ण घोड़ा रोॅ रास छोड़ी देलकै
कठोर तीखोॅ सूर्य नांखी चमकते बाण हाथोॅ मेॅ लेलकै ।
चक्र लै केॅ रथोॅ सेॅ समर में कूदी पड़लै
सिंह, हाथी केॅ मारै वास्तें जैन्होॅ दौड़ी पड़लै ।
कौरव सेना रोॅ ओर एकदम दौड़ी पड़लै
नीलोज्जवल शरीरोॅ पर सुनहला पीला वस्त्रोॅ सेॅ लैस छेलै ।
बिजली सेॅ युक्त वर्षा कारोॅ मेघोॅ नांखी शोभै छेलै
हाथोॅ मेॅ चक्र लेने घूमी रहलोॅ छेलै ।
कौवर दलोॅ मेॅ हाहाकार मची गेलोॅ छेलै
आबेॅ सब्भे योद्धा नेॅ समझै मेॅ देरी नै करलकै ।
भीष्म रोॅ अंतिम समय आबी गेलोॅ छेलै
कृष्ण ! चक्र लै केॅ भीष्म रोॅ तरफ गेलै ।
भीष्म तनियो टा घबराहट महसूस नै करलकै
भगवान केरोॅ सारा जगत निवास स्थान छेकै ।
भगवान रोॅ हाथोॅ सेॅ मरला पर मानव उत्तम योनि पावै
है वेशोॅ मेॅ आपनें रोॅ स्वागत करै लेॅ तत्पर होवै ।
चक्र सेॅ वध करी केॅ मारला पर हम्में धन्य होय जेवै
है लोकोॅ मेॅ सब्भेॅ सेॅ हम्में श्रेष्ठ होय जैवै ।
परलोकोॅ मेॅ हमरा कल्याण मिलतै
लोक परलोक दोनोॅ सफल होय जैतै ।
प्रतिष्ठा क्रीति, सहस्र गुणोॅ मेॅ इजाफा होतै तेॅ
कृष्ण कहलकैµ जुआ खैलै सेॅ रोकतियै तेॅ ।
दुर्योधन है दृश्य देखै लेॅ अवसर नै मिलतहै
है नाटक-त्राटक देखै रोॅ समय नै मिलतहै ।
भीष्म बोललै, जनार्दन आपने कामना पूरा नै होतिहै
दोसरा पर दोष मढ़ना फिजूल बात छै ।
अर्जुन रथ सें कूदी केॅ कृष्ण केॅ भरी पाजोॅ पकड़नें छै
बड़ी वेग सेॅ दौड़लेॅ कृष्ण आगु बढ़ी रहलोॅ छेलै ।
प्रभु आपनें हमरा सिनी वास्तें कैन्हें प्रतिज्ञा तोड़लियै
हम्में शपथ पूर्वक कहलै आपनें आगू नै बढ़वै ।
अजु्रन कहलकै आवेॅ कोमल युद्ध नै करवै
अर्जुन भयंकर युद्ध करै लेली तैयार होलै ।
कौरव दलोॅ मेॅ कोलाहल मचेॅ लागलै
पितामह अर्जुन केरोॅ सामने टिकलै ।
भीष्म संग्राम मेॅ दैत्य रोॅ प्राण पखेरू उड़लोॅ छेलै
दुष्टोॅ रोॅ दुराचारी अन्यायी रोॅ भरोसा ।
पृथ्वी रोॅ भारोॅ सेॅ हल्का होलै मरला सें
भगवान भावोॅ रोॅ भूखलोॅ रहे छै ।
अहंकारी केॅ हजम करी केॅ छोड़े छै
इच्छा सेॅ युग-समर केॅ मोड़ै छै ।