प्रशस्ति गायक / राजेन्द्र राजन
उन्हें कभी नहीं सताता पराजय का बोध
वे हमेशा विजेताओं की जय बोलते हैं
अखंड होता है उनका विश्वास
कि विजेता आएंगे जरूर
विजेताओं की प्रतीक्षा में
वे करते रहते हैं प्रशस्तियां गाने का अभ्यास
उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं
कि विजेता कौन हैं
कहां से आ रहे हैं वे जाएंगे किधर
उन्होंने जिनको जीता
क्या बीता उन पर
वे कभी नहीं देखेंगे
विजेताओं का इतिहास
उनके इरादे उनकी योजनाएँ
उनके विचार
वे बस देखेंगे विजेताओं के
चमकते हथियार
बढ़ते हुए काफिले
उन्माद की पताकाएं
और जय जयकार में शामिल हो जाएंगे
विजेता भले ही उनके घर लूटने आ रहे हों
वे खड़े हो जाएंगे स्वागत में
पूरे उत्साह से लगाएंगे
विजेताओं के पक्ष में नारे
उन्हें बस चाहिए
जीतने वाले के पक्ष में होने का सुखद
अहसास !