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प्रसन्नता / श्रीविलास सिंह
Kavita Kosh से
बधिक
तेज़ कर रहा है
अपने फरसे की धार
ज़ोर ज़ोर से पढ़ता
बलि के मंत्र
और बकरे फुदक रहे हैं
हरी घास देख कर।