प्रार्थना समय / संध्या गुप्ता
—यह एक शीर्ष बिन्दु
—यह एक चरम पल
—इसके आगे कोई रास्ता नहीं
—इसके बाद कोई रास्ता नहीं
—सारे रास्ते यहीं से खुलते हैं
—सारे रास्ते यहीं पर बन्द होते हैं
प्रार्थना और बस केवल प्रार्थना
भिन्न-भिन्न रंगों में
भिन्न-भिन्न अंदाज में
भिन्न-भिन्न स्थानों पर की गई प्रार्थना
जिनका स्वाद एक है
जो एक ही जगह से निकलती है
जो एक ही जगह को छूती है
यह एक समर्पण
यह एक विसर्जन
यह एक हासिल संकल्पों और विकल्पों की
अपने आप से लड़ी जाने वाली रोज़ की लड़ाई
देह की मन से
मन की आत्मा से
मैं की तुम से ... तुम की मैं से
और भर दिन से छनकर घिर आती साँझ
मन की घाट पर सीढ़ियाँ चढ़ती इच्छाएँ
युगों से जमी काई पर फिसलतीं
गिरतीं और बिखर जातीं...
वह एक पल मन के आकाश पर निकले पूरे चाँद का
पूरी ज़िन्दगी को घेरती
सुबह की प्रार्थनाएँ ... शाम की प्रार्थनाएँ
जगाती और सुलाती
केवल और केवल बस प्रार्थनाएँ ...