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प्रिये! प्राण-प्रतिमे! / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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प्रिये! प्राण-प्रतिमे! मैं कब से आया बैठा तेरे पास।
कबसे तुझे निहार रहा हूँ, देख रहा शुचि प्रेमोच्छ्वास॥
धन्य पवित्र प्रेम यह तेरा, हूँ मैं धन्य, प्रेमका पात्र।
नित्यानन्द-विधायिनि मेरी, तू ही एक ह्लादिनी मात्र॥