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प्रेमगीत कहती / कविता भट्ट

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तुम विवश
हो मेरी मुस्कान- सी
पुण्यसलिला
नहीं छोड़ती धर्म
पीड़ा सहती
उदास हो बहती।
प्रेमगीत कहती।