भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फावड़े / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
धरती से खोद लाते हैं
अमर उर्वरा
उगाते हैं
लहलहाती फसलें
पर
कब्रें भी खोदते हैं
फावड़े।