भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बगत : चार / ओम पुरोहित ‘कागद’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बगत माथै ई
काम आवै
बगत रा ओळाव
पण
ओळाव रो ई
बगत नीं मिलै तो
किंयां लेईजै
सांवठा ओळाव!

बैरी कुण
आंवती हूण रो
बगत रो ओळाव
का पछै
ओळाव रो बगत!