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बचपन में / हेमन्त देवलेकर
Kavita Kosh से
समुंदर बचपन में बादल था
किताब बचपन में अक्षर
माँ की गोद जितनी ही थी धरती बचपन में
हर पकवान बचपन में दूध था
पेड़ बचपन में बीज
चुम्मियां भर थी प्रार्थनाएं बचपन में
सारे रिश्तेदार बचपन में खिलौने थे
हर वाद्य बचपन में झुनझुना
हंसी की चहचहाहट भर थे गीत बचपन में
ईश्वर बचपन में माँ था
हर एक चीज़ को
मुंह में डालने की जिज्ञासा भर था विज्ञान बचपन में
और हर नृत्य बचपन में
तेरी उछल-कूद से ज्यादा कुछ नहीं था