भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बढ़ता हुआ बच्चा / अशोक चक्रधर
Kavita Kosh से
मैग्ज़ीन पढ़ रही है मां
बच्चा सो रहा है,
बच्चे के हाथ में भी
एक किताब है
पढे़ कैसे
वह तो सो रहा है।
हिचकियां ले रहा है
और बड़ा हो रहा है।
बढ़ता हुआ बच्चा
जब और और बढ़ेगा,
तो मां से भी ज़्यादा
किताबें पढ़ेगा।
मज़ा तो तब आएगा,
जब वो
किसी अनपढ़ मां को
पढ़ाएगा।