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बदलती औरत / हरकीरत हकीर
Kavita Kosh से
न हवा ने
मिन्नतें की
न क़दमों पे गिरी
न ख़ुदकुशी के लिए की
रस्सी की तलाश...
बस! चुपके से
कानून के आँखों पे
बंधी पट्टी
खोल दी...!!