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बसंत तान तान के कमान / दीनबन्धु
Kavita Kosh से
बसंत तान तान के कमान, सगरो मारे।
विदेसिया आवऽ हो आवऽ हो, बलमा आ रे॥
कोइलिया टुभके कुहुके, रतिया सगरी सगरी,
देउरा मुसके ठुसके बतिया, नगरी नगरी,
हमर हे आफत में जान, देह चन्दा जारे॥
बहे अँखिया कजरा गजरा, हिरिदा सूखे,
धड़के छतिया अँचरा भींजे, तोहरे दूखे,
गरज ने ठान मान के नेह, गीतिया गारे॥
ननदिया ठोली बोली गोली, मारे हरदम,
दुअरिया झूमे होलइया तो, जागे सरम
लाल डोलिया दुअरिया अब, सजना लारे॥