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बस एक बार ! / महेन्द्र भटनागर

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स्नेह-तरलित दो नयन

मुझको देख लें --

बस,

एक बार !


दो

प्रणय-कम्पित हाथ

मुझको थाम लें --

बस,

एक बार !


सर्पिल भुजाएँ दो

मुझको बाँध लें --

बस,

एक बार,


दो

अग्निवाही होंठ

मुझको चूम लें --

बस,

एक बार !