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बहाना मत ढूंढ़ो / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
बहाना मत ढूंढ़ो
जीने का
सृष्टि का सबसे बड़ा प्रयोजन है
स्वयं जीवन
किसी के हाथ मत सौंपो
अपने होने की डोर
हर शाम का
पीछा करती भोर की तरह
मृत्यु के बावजूद
वजूद में रहता है जीवन
निःस्सीम
अनन्त