भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिन्दु / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
Kavita Kosh से
सुख की स्थिति बंद मुट्ठी में जल की तरह है.
दुःख की स्थिति बंद मुट्ठी में अंगारे की तरह है.