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बिरखां में मरूथळ / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
बणग्या
बाळू रा धोरा
सोने रा पाड़,
उण माथै
बरसै
मोती री बौछाड़,
नीचे
बैवै
चांदी री धारा