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बींठ (6) / सत्यनारायण सोनी

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ये जो धूपिए
सजाए हैं तुमने
थानों में
डालकर घी
महकाया है
घर-भर को।
लेकर लौ,
कर दिया खुश
देवी मां को।
ये भी
कौन चीज से बने हैं
जानो तो!

2005