भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बूतै सारू / निशान्त
Kavita Kosh से
सिंझ्या नै
लोटिया चासण रै टेम
च्यानणै नै
निंवण करणियां
अै लोग
ऊगतै सूरज नै
कदे ई
नमस्कार नीं करै
साची बात है
हरेक
आपरै बूतै सारू ई
काम करै।