भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बेईमानी / अर्पिता राठौर
Kavita Kosh से
मैंने अपने जीवन के
सबसे उदास क्षणों पर
कविता तब लिखी
जब उस उदासी को लेकर
मैं सबसे ज़्यादा तटस्थ थी।