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बेड़ियाँ-1 / हो ची मिन्ह
Kavita Kosh से
क्रूर दानवी के समान भूखा मुँह खोलकर
रोज़ रात बेड़ियाँ
फँसा लेतीं पाँव लोगों के
जकड़ लेते जबड़े
पाँव दायाँ हर क़ैदी का
रहता मुक्त बस
बायाँ फ़ैलने और मुड़ने को