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बैठी खलक खिलाबे माया / संत जूड़ीराम
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बैठी खलक खिलाबे माया।
रूप पालनो घाल दुबारे काम डोर गहि पकर फुलाया।
कोई है धन धाम बिबूचो वन में सब सिर भार लदाया।
कीन्हों बंध फंद बहु विधि के काया कर्म धर्म अरुझाया।
जूड़ीराम शब्द बिन चीन्हें मर-मर गये मर्म नहिं पाया।